चोर को मालूम पड़ गया कि ‘उसे पकड़ने का बेड़ा किसने उठाया है ?’ उसने एक
व्यापारी का भेष बनाया । सुंदर कीमती कपड़े पहने… और कामपताका के घर पर
पहुँचा। वेश्या तो पैसे वाले इस नये मुर्गे को देखकर खुश हो उठी । उसने बड़े
प्रेम से उसका आदर किया उसे बिठाया । पान सुपारी दी ‘ चोर ने कहा :
‘कामपताका, नगर के बाहर एक परदेशी सौदागर आया हुआ है … श्रीमंत है… जवान
है… यदि तू कहे तो मै उसे यहां पर ले आऊं ! तू मालामाल हो जाएगी !’
वेश्या तो खुश खुश हो उठी ! चोर गया सौदागर के पास । सौदागर ने कहा :
आप परदेशी है… बड़े व्यापारी है… और इस तरह नगर के बाहर ठहरे है, वह अच्छा
नही लगगता ! मै इसी नगर का व्यापारी हुँ…। मेरी हवेली पर पधारे…।’ वह
सौदागर अपने परिवार को लेकर चोर के साथ वेश्या की हवेली पर आया। सबकी अच्छी
खातिरदारी की । चोर ने सौदागर को आराम करने का कह के स्वयं सौदागर का भेष
बनाकर पहुँचा वेश्या के पास । उसने भेष और आवाज ऐसी बदली की वेश्या भांप तक ना
सकी । वेश्या ने उसे नया आगन्तुक सौदागर समझा । उसे आदर से बिठाया । चोर ने
इधर उधर की बाते करते हुए बड़ी मधुरता से कहा :
‘कामपताका, मुझे राजसभा में जाकर व्यापार हेतु राजा से मिलना है….। मेरे
सारे कीमती आभूषण पेटी में बंद है….। हालाँकि पेटी है तेरे वही पर…. पर
यदि तेरे आभूषण बाहर हो तो जरा पहनने को दे दे…। अभी गया अभी आया। बाद में
फिर अपन मौज मनाएंगे। ढेर सारे रुपये लेकर आया हुँ बेनातट में मौज मनाने को !’
वेश्या झांसे में आ गयी। उसने अपने महंगे गहने निकाल कर दे दिये उसे। वह गहने
पहनकर चोर पहुँचा असली सोदागर के पास। जाकर बोला : मै महाराजा के पास जा रहा
हूं…. आपके पाँच सुंदर घोड़े साथ ले जाना चाहता हुँ । महाराजा को बताकर भारी
मूल्य तय कर लूंगा ।’ सौदागर ने खुश होते हुए ज्यादा कीमत की लालच में आकर
पांच अश्व दे दिए ! चोर घोडे व अलंकार लेकर गया सो गया…! वापस आया ही नही !
इधर रात हुई तो भी सेठ वापस नही आये… वह सौदागर वेश्या के पास आया और पूछने
लगा :
‘सेठ क्यो नही आये अभी तक ?’
‘कौन सेठ ? किसकी बात कर रहे हो ? आप कौन है जनाब ?’ वेश्या ने चमकते हुए पूछा
।
उसने कहा : मैं परदेसी सौदागर हुँ…। इस हवेली के मालिक मुझे यहां मेहमान बना
कर ले आये थे ।’ ‘हवेली ? होश में तो है न आप ! हवेली की मालिक मै हुँ
कामपताका ! वह तो मेरे पास आकर मेरे गहने भी ले गया है… मैया री….. मै तो
लूट गयी….।’
‘ओह बाप रे ….मेरे पांच श्रेष्ट घोड़े भी ले गये !’ सौदागर छाती पीटने लगा ।
विमलयश का हंसी के मारे बुरा हाल था ।
आगे अगली पोस्ट मे…