आगे चोर को पकड़ने का इरादा जाहिर किया, धन सार सेठ और लल्लू नाई ने !
उस चोर ने मालूम कर लिया कि धनसार सेठ और लल्लू नाई इसे पकड़ने निकले है ! वह
भेष बदल दोपहर में पहुँच गया हजामत करवाने के लिए लल्लू नाई के घर पर ! लल्लू
ने बढ़िया हजामत बनायी और हजामत के पैसे मांगे । चोर ने जेबे टटोली… पैसे
नहीं मिले तो उसने लल्लू से कहा : देख, में घर से निकला तो पैसे लाना ही भूल
गया, तू ऐसा कर… तेरे बेटे को मेरे साथ मे भेज, मै उसे पैसे दे देता हूं ।’
नाई ने अपने बेटे को भेज दिया उसके साथ । चोर उसके बेटे को लेकर धनसार सेठ की
दुकान पर गया । धनसार सेठ की कपड़े की बड़ी दुकान थी। वहां जाकर उसने कीमती कपड़ा
खरीदा… और फिर सेठ से कहा :
सेठ, मै कपड़ा घर पर रख कर पैसे लेकर तुरंत वापस आता हूँ…. तब तक मेरा यह
बेटा यहां बैठा है ।’ नाई के बेटे को वहां पर बिठाकर चोर कपड़े की गठरी ले कर
अपने स्थान पर चला गया। गया सो गया ! इधर लल्लू उसे खोजने के लिए निकला । उसने
बाजार में सेठ की दुकान पर अपने बेटे को बैठा हुआ देखा। बेटा भी बाप को देखकर
लिपट गया बाप से, और रोने लगा….!
जब सेठ जी को सारी बात का पता लगा तो उसकी छाती फटने लगी… ‘अरे…. लल्लू
वह चोर तो मुझे लूट गया !
‘सेठ तुम्हे अकेले को थोड़े ही लुटा है। मुझे भी लूट गया ।’
‘आया बडा लूटने वाला ! मूर्ख, तेरे तो खाली हजामत के पैसे गए… मेरा तो
हजारों का कपड़ा वह ले गया !’
विमलयश तो पेट पकड़कर हँसने लगा !
‘वाह भाई वाह !
मालती, तेरा चोर गजब खिलाड़ी है… नाई से हजामत करवाई और उसकी भी हजामत कर
डाली ! फिर क्या हुआ ? और कौन आगे आया उसे पकड़ने के लिए ‘ ?
‘एक परदेसी सौदागर और वह कामपताका वेश्या !’
‘हा वेश्या बड़ी चतुर होती हैं इन मामलों में ! पकड़ लिया होगा उसने चोर को !’
‘क्या पकड़ेगी वह ? मक्खी पकड़ेगी… मक्खी ! ‘अरे… क्या हाल हुए है उसके तो
? ‘
‘अच्छा, तो वह भी ठगी गयी क्या ?’
‘अकेली नही…परदेसी सौदागर के साथ…दोनों ठगे गये !’
‘सुना माई सुना ….सारी वारदात…!’
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