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सवा लाख का पंखा– भाग 3

नही …. स्नान तो मेने कर लिया है ….. मेै अब नगर मे जाऊँगा परीभ्रमण के
लिये । मध्यानँह मे वापस आ जाऊँगा ।’
बाजार मे से कूछ लाना हो तो लेता आऊ ।’ नही रे बाबा … ऐसी कोई चिंता तुम्हे
थोड़े ही करनी है ? यदि तुम्हे कूछ चहिये तो मुझे कहना , मै ला दूँगी । तुम तो
इस नगर मे पहले पहल ही आये हो न ?’ हा …. मेै तो पहली बार ही आया हूँ । ‘तो
फ़िर मे आती हूँ तुम्हरे साथ नगर मे ।’ नही कोई ज़रूरत नही है, तुम भोजन
बनँना ।मेै घूम कर आ जाऊँगा…. पर तुम्हारा नाम तुमने बताया ही नही ? मेै भी
कैसा हूँ नाम भी नही पूछा !’
मेरा नाम है मालती !’
बड़ा अच्छा है …!’
विमलयश ने ज़रूरी सोना मोहरे पेटी मे से निकाल ली। दोनो पेटियों को बंद कर के
रख दी और खुद नगर की तरफ़ चला।
विमलयश का पहला कार्य नये वस्त्र खरीदने का करना था। बाजर मे जाकर उसने शेष्ट
कपड़े खरीद लिये । मलिन के लिये भी सुंदर कपडो की जोड़ ले ली ।वापस वो लौट कर
बगीचे मे आ गया।
दोपहर के समय उसने भोजन किया । भोजन करवाते वक्त मलिन ने जान लिया की विमलयश
को कैसा भोजन अच्छा लगता है ! विमलयश को लगा की मलिन कार्य -कुशल है, साथ ही
चतुर भी है ।
‘मालती, ये कपड़े तुम्हरे लिये लाया हूँ, तुम्हे पसंद आयेगा ना ?
विमलयश ने मालती को लाये हुए कपड़े दिये। मलती की आँखे चौड़ी हो गयी ।
अरे… राजकुमार, जी तुम तो कोई राजकुमारी पहने वैसे कपड़े ले आये हो ।इतने
कीमती कपड़े मेरे लिये नही चहिये …. बाबा । मै इन्हे पह्नू भी कैसे ?’
‘देखो, मुझे तो अच्छे कपड़े ही भाते है …. मेरे लिये या औरों के लिये !
तुम्हे पहनना ही होगा ।’
‘एक शर्त मंजूर हो तो पह्नू ?’
क्या शर्त है तुम्हरी !
‘तुम्हे मुझे ‘तू’ कहकर बुलाने की । मेै कोई इतनी बड़ी थोडे ही हूँ …! बोलते
तो वह बोल गयी पर फ़िर शर्म से सर जुका लिया । विमलयश हँस दिया ।
अच्छा …. मेै तुम्हे मलती कहकर ही बुलओगा !’
‘तब तो मुझे बड़ा अच्छा लगेगा ।’ मालती चली गयी । विमलयश ने अपने कपड़े जमा कर
रख दिये । कमरे का दरवाजा बंद किया और ज़मीन पर ही आरम करने के लिये लेट गया ।
उसे मीठी नींद आ गयी …. जब जागा तब दिन का चौथा पहर प्रारम्भ हो गया था ।
उसने दरवाजा खोल दिया । तुरंत ही मालती हाज़िर हो गयी ।
‘बड़ी मीठी नींद आ गयी मुझे तो….कुछ ख़याल ही नही रहा ! विमलयश ने कहा ।
‘यह कमरा ही ऐसा है …. उद्दान के फ़ूलॊ की खुशबू सीधी यह पर आती है । सबेरे
सबेरे तो देखना, जूही के फूलों की खुशबू से वातवरण भर जयेगा ।’

आगे अगली पोस्ट मे…

सवा लाख का पंखा– भाग 2
September 27, 2017
सवा लाख का पंखा– भाग 4
September 27, 2017

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