राजसभा मे हर्षध्वनि हुई। सभी ने प्रसन्न मन से राजा के प्रस्ताव को स्वीकार किया। अमरकुमार ने खड़ेे होकर र्सवप्रथम महाराजा को प्रणाम किया। बाद में पंडित जी के चरणों में वंदना की और बाद में पिता का आशीर्वाद लिया। अमरकुमार ने खडे होकर अपनी पहली समस्यां पेश की-
“तीन”अक्षर का एक शब्द है। उस शब्द का यदि पहला अक्षर निकाल दें तो बाकी दो अक्षर से जो शब्द बनता है उसे किसी भी व्यक्ति को नही करना चाहिए। तीन अक्षर के उस शब्द मे से यदि दूसरा अक्षर निकाल दे तो जो शब्द बनेगा यह शब्द किसी को बोलना नहीं चाहिए। तीन अक्षर मे से अंतिम अक्षर निकाल दें तो बचे हुए दो अक्षर का अर्थ होगा लक्ष्मीपति! तीन अक्षर का यह संपूर्ण शब्द, तुम्हारी आँखों की उपमा देने योग्य हैं। सुरसुन्दरी एकाग्र मन से समस्यां सुन रही थी। वह खडी हुई। महाराजा और पंडित जी के चरणों में प्रणाम किया और जवाब दिया :-
‘तीन अक्षर का वह शब्द है ‘हरिणा'( ह) को निकाल दें तो “रिणा” बचेगा। “रिणा” का अर्थ है कर्जा। वह किसे भी नहीं करना चाहिए। “रि” को यदि निकाल दें तो ‘हणा’ रहेगा, यह शब्द हिंसा आज्ञा करता है। अतः किसे भी नही बोलना चाहिए। ‘णा के बिना जो शब्द बनेगा वह होगा ‘ हरि’ यानि कृष्णा, वे लक्ष्मीपति है ही! वैसे ही युवती स्त्रीयों के नेत्रों को हरिणा की उपमा मृगनयनी हरिणाक्षी के रूप मे दी जाती है।
सभाजनों ने प्रसन्न होते हुए तालियां बजा बजा कर सुन्दरी के जवाब को बधा लिया।
अमरकुमार ने दुसरी पहेली पूछी : – तीन अक्षर के शब्द मू से पहला अक्षर निकालने पर बाकी बचे दो शब्दो से बनते शब्द सफेद पृथ्वीकाय का परिचायक है। दूसरे अक्षर से रहित जो शब्द बनेगा वो किसी पक्षिणी का सूचक है। तीसरा अक्षर अलग करने पर जो शब्द बनेगा उसे सभी चाहते है।
जवाब आगे अगली पोस्ट मे…