एक बालक ने एक फिलोसफर से पुछा की भगवान ने इन्सान को दो आँखे क्यो दी है? एक आँख होती तो भी मानव देख सकता था ना?
उस फिलोसफर ने बालक को बहुत अच्छा जवाब दिया- भगवान ने इन्सान को दो आँखे इस के लिए दी है कि मानव जिन्दगी मे दुसरी ओर भी देख सके। जब एक रास्ता बंद हो जाए तो दुसरा रास्ता शोध सके।
आज ज्यादातर समस्याओ का समाधान ही नही होता है। उसके पिछे का कारण ही यही है कि समस्या सुलझाने के लिए रास्ते शैधने के लिए कोई तैयार ही नही होते है। आज मानव जिन्दगी को अधिकतर एक ही तरफ से देखता है।
याद रखना जिन लोगो ने इस दुनिया मे कुछ नया किया है कुछ अलग किया है कुछ हटके किया है उन लोगो ने एक नही परन्तु अनेक तरफ से उपर नज़र डाली है तब जाके वे समस्याओ का हल ढूंढ पाये है।
हर समस्याओ के अनेक विकल्प होते है। और जब नज़र सब ओर डालते है तो उसके लिए मार्ग स्वतः खुल जाते है। और सफल हो जाते है।
जिस तरह तीन तरफ दिवाल खडी करदो तो फिर एक ही दिशा दिखाई देती है। बस मानव को इतना ध्यान रखना है कि एसी गलत दिवारे खडी न करे।
हकीकत मे मानव को जज की तरह बनना चाहिए। जो दोनो तरफ की बाते सुनने के बाद निर्णय लेता है। इस तरह मानव को सब तरफ देखकर निर्णय लेना चाहिए।
ताला खोलने के पास गये। हम उसके पास कैसा भी ताला ले कर के जाये वह चाबी का गुच्छा निकालेगा और खोलने की कोशिश करेगा। ताला अगर नही खुल्ला तो फिर वह नई चाबी बनायेगा।
बस तो फिर जिन्दगी भी कुछ ऐसी ही है। समस्याओ का हल नही मिले तब तक नई- नई चाबीया लगाते रहना चाहिए। वह लोग कभी भी ताला नही खोल सकते है जो लोग हार मान लेते है।
तो बस आज से निर्णय करे कोई भी परिस्थिति या समस्या तकलीफ हो तो फिर एक झटके मे निर्णय लेना या देना नही। धीरज से सभी तरफ से विचार कर निर्णय लेना चाहिए। ताकि हाय बाप वोले निर्णय से बचा जा सके।
हम पाप की सामग्री मे ओनरशिप रखते है और
धर्म की सामग्री मे पार्टनरशिप रखते है
इसलिए आगे नही बढ पाते है।।