होटल मे आडॅर देने के बाद थोड़ी देर मे वैटर आपके सामने वानगी हाजिर कर देता है उतनी सहजता से सुख नही मिल सकता है। सुख वो जीवन मे घड़ी के घण्टे के काटे की गति से आता है और सेकेण्ड के काटे की गति से चला जाता है। कितने ही दुख जरूरत मे से खडे होते है। भुख भी कुदरत द्वारा दी हुई जरूरत है जिसके आगे समग्र मानव सृष्टि लाचार है।
एक अणुबम एक साथ लाखो लोगो को मार सकता है पर लाखो अणुबम मिलकर एक भुख को नही मार सकते है। और इस भुख के आगे समग्र मानव जाति पराजित है। भुख ऐसी डायन है कि किसी को नही छोडती है। एक बार कही पर कटाक्ष कथा पढने मे आयी थी- मानव के मृत्यु के विषय मे लोकसभा मे भारी धमाल हुआ। विरोध पक्ष का आक्षेप था की मानव के मृत्यु के पिछे भूख कारणभूत हेतु है। सत्ता पक्ष का कहना था कि यह इन्सान भूख से नही मरा है। इसका मृत्यु कागज डूचे, किचड आदि खाने से हुआ है। यह सुन्दर व्यंग है। मानव को पेट की आग बुझाने के लिए रोटी के टुकड़े मिलते है तो फिर वह कागज, डूचे के क्यो खायेगा? भूख दुनिया का पहला दुःख है और अन्त तक साथ मे रहेगा। यह मात्र दो अक्षर का शब्द है पर मानव जाति के लिए अनुबम से कम खतरनाक नही है।
निष्फलता एक टेम्परेरी अवस्था है और हिम्मत हार जाने की कृति इसे परमेनन्ट बना देती है। एक चिन्तक ने बडी मजे की बात कही है – विश्व भर की सारी कृति का मूल वह मानव के पेट मे पडा है। जहाँ सिंह और सियार दोनो ही एक जैसे लाचार बन जाते है। मन्दिर मे हिन्दूओ की भिड होती है तो मस्जिद मे मुसलमानो की लाइन होती है। चर्च पर ख्रिस्तिओ के टोले होते है। परन्तु राशन की दुकान पर सब एक लाईन मे खडे रहते है।
भूख के कारण ही देश की एकता नज़र आती है।
तो समग्र मानव जाति मिलकर भूख पर विजय प्राप्त करे ताकि देश मे कोई भूखा न सो सके।।