मेरे देश का युवा बदलाव चाहता है। वह आज विजन के साथ काम करता है। आज के युवा को आपको तर्को के साथ धर्म समझाना होगा नही तो वे नास्तिक बन जायेंगे। क्योंकि उसके चारो ओर नास्तिकता व्याप्त है। पर इसमे भी धर्म टीक सकता है। बस उसे समझाने की शौली मे थोडा बदलाव लाना होगा।
अभी- अभी एक नौजवान मिले। वह मंदिर- उपाश्रय मे नही जाते थे। प्रतिज्ञा- पच्चखाण मे विश्वास नही था। उनका कहना था कि यह सब प्रतिबंध है। ऐसा कुछ नही होता है। इस तरह उन्होंने कई तर्क प्रस्तुत किये थे। मै उनकी बातो को शांति से सुनता रहा। उन्होंने कहाँ- स्वतंत्र देश मे भी आप लोगो पर प्रतिबंध लगा रहे है।
मेने कहाँ- आपकी बात सही है। पर प्रतिबंध के बिना जीवन चल ही नही सकता है। जीवन को चलाना है, सही दिशा देनी है तो प्रतिबंध जरूरी है। शर्ट पर बटन का द्वारा प्रतिबंध न लगाये तो फिर क्या होगा?
पेन्ट पर बेल्ट से प्रतिबंध न लगाये तो क्या होगा? तो आप स्वतंत्र रह सकते है क्या? आप दुकान को बंद करके जाते है तो वहाँ ताले से प्रतिबंध क्यो लगाते है? तीजोरी भी तो धन का प्रतिबंध है।
यह सारे प्रतिबंध आप बंद कर देना और फिर स्वतंत्रता के साथ घुमना। परिणाम क्या होगा?
आपको ऐसा स्वतंत्र जीवन पसंद आएगा क्या ?
उह भाई ने सारी बातो को सुना और फिर वह हार गया। उसने कहाँ- साहेब! जीवन को बचाने के लिए पच्चखाण जरूरी है। यह बात मै आज समझ गया हूँ।
अगर हम इस तरह हर बात युवायो को समझायेंगे तो वह धर्म को स्वीकार ही नही करेंगे उस मार्ग पर भी चलेंगे। और जीवन को सुगंधित बनायेंगे।
अब हमे यह नही बोलने है कि माहौल बदल रहा है।
अब इस माहौल मे भी हम शौली को बदल कर जीनशासन की पताका को लहराए।।