कषाय को मंद कैसे करे?
मौसम बदलता है जेठ का महीना होता है, तब लूएं चलती है, हवा गर्म होती हैं,
धूप बहुत तेज हो जाती है।
इस स्थिति में व्यक्ति को सुख की अनुभूति कम होती है।
आषाढ का महीना आता है, मौसम बदल जाता है। आकाश में बादल छाए रहते हैं,
ठंडी हवाएं भी आती है, मनुष्य आंनद का अनुभव होता है। शरीर जिसको चाहता है और
मन उसका साथ देता है तब आंनद का अनुभव होता है, किन्तु वास्तव में
आंनद उसको मिलता है, जिसका कषाय मंद होता है। सुख और दु:ख दोनों का जो कारण है,
वह कषाय की तीव्रता और मंदता है। तीव्र कषाय दु:ख का अनुभव। मंद कषाय, सुख का अनुभव।
दो शब्द बहुत महत्वपूर्ण हैं– मंद कषाय और तीव्र कषाय। जब तक व्यक्ति वीतराग नहीं बनता , कषाय विधमान रहेगा।
क्रोध, मान, माया, लोभ ये सब रहेगे।
किन्तु यदि इनको मंद कर दिया तो फिर प्रज्वलन नहीं होगा, लपटे नहीं उठेगी।