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“जातिभव्य” जीव किसे कहते है..?
इस ब्रह्मांड में ऐसी अनंत आत्मा है कि जिनमेँ मोक्ष जाने की योग्यता है, भव्यता है ।
पर वो आत्मा कभी भी निगोद में से निकलकर व्यवहार राशि में आने वाली ही नहीं है ।
भले ही कितना भी वक़्त गुजर जाए पर उस आत्मा की नियति ही ऐसी है कि वह कभी व्यवहार राशि में से बाहर नहीं निकलेगी ।
ये आत्माएं जातिभव्य कहलाती है ।
वे जाति से भव्य है परंतु “नित्य निगोदि” जीव है ।
जिससे वे कभी भी मानव भव, संयम या मोक्ष प्राप्त नहीं करेँगी ।
अब विचारो कि हम कितने नसीबदार है कि हमारा नंबर जातिभव्य मेँ तो नहीं है ।
हम तो निगोद में से निकलकर मानव भव तक पहुँच गए ।
ये सब जानेंगे तो मालूम पड़ेगा कि अहो ! मुझे तो कितना कुछ मिल गया है ।
रत्न चिंतामणि जैसे मानव भव की कीमत होगी ।
जो समय बीत गया वो तो हमारे हाथ में नहीं है, पर जितना भी समय बाकी है उसे गवाना अच्छा नहीं हैं ।