दिन की कहानी

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पुण्य की परम्परा निगोद ही है

पुण्य की परम्परा निगोद ही है –   किसी शहर में भ्रमितमति नामक एक व्यक्ति रहता था। वह कुछ काम नहीं करता था और अपनी मन-मर्जी से इधर से उधर भ्रमण करता रहता था। एक बार ठण्ड के दिनों में वह घूमते-घूमते ग्वालों की बस्ती में पहुँच जाता है। थोड़ी देर तक घूमने के बाद उसे भूँख लगती है, तो…

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इलाज

एक मकान का मालिक जिसे अपना घर बाहर से बहुत सुन्दर लगता था।बाहर से इतना अच्छा लगने लगा कि भीतर छोड़ बस बाहर ही रहने लगा।बाहर से रोज साफ करता और बाकी आसपास के मकानों से सुन्दर दिखाने में लगा रहता भीतर जाना भूल ही गया।बाहर से लोग तारीफ करते तो बहुत खुश रहता।धीरे धीरे अंदर गंदगी फैलने लगी।एक दिन…

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कर्ज

एक सेठ जी बहुत ही दयालु थे । धर्म-कर्म में यकीन करते थे । उनके पास जो भी व्यक्ति उधार मांगने आता, वे उसे मना नहीं करते थे । सेठ जी मुनीम को बुलाते और जो उधार मांगने वाला व्यक्ति होता उससे पूछते कि “भाई ! तुम उधार कब लौटाओगे ? इस जन्म में या फिर अगले जन्म में ?”…

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श्री गौतमस्वामी के पूर्वजन्म छटा भव: श्री गौतम स्वामी

तू जम्बूदीप के भरतक्षेत्र में पेदा हुआ।भरतक्षेत्र में साढे पच्चीस आर्यदेश हे।उन देशो की महान सत्ता समान मगध देश में तथा उसके गोबर नामक गाँव में वसुभूति नमक ब्राम्हण का तू पुत्र हुआ।तेरी माता का नाम पृथ्वी और तेरा नाम इंद्रभूति था।उसके बाद तेरे जीवन की गंगा में जो प्रवाह आये वे तेरी आँखो के सामने हे।आज तू मेरा प्रथम…

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श्री गोतमस्वामी के पूर्वजन्म पाचवा भव: आठवें देवलोक के इंद्र।

निरतीचार संयम के पालन का सामर्थ्य तेरे पास था।इसके द्वारा बांधी हुई शुभपुण्य की प्रकृति सामान्य कक्षा की नही थी।उस पूण्य के प्रभाव से तू पाचमें भाव में आठवे देवलोक के इंद्र के रूप में पैदा हुआ।अपार समृध्दि तथा वैभव तेरे चारो और फैले हुए थे।धिसरवा मंत्री की आत्मा भी तेरे साथ ही सहस्त्रार देवलोक मे तेरे समनिक देव के…

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