दिन की कहानी

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विभक्ति को दूर करे वह भक्ति

शास्त्रकारो या महात्माओं के उपदेश रूप वचन तभी लाभदायीं बनते हैं, जब उनके द्वारा जीवात्मा परमात्मा से सीधे संबंध में आता हो। मनुष्य अंतरमुर्ख होकर खोज करें तो ही अंत में उसे अनुभव होता है कि वह स्वयं परमात्मा का स्वरूप है। भक्ति यह मन की एकाग्रवृत्ति है। अविच्छिन्न परानुरक्ति है, जो सभी सुख के निधान स्वरूप परमात्मा को अपना…

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गौतम स्वामी जी का तिसरा भव

दूसरा भव : विशाल नदी में मछली के रूप में उत्पति   कर्म की गति सच में विचित्र होती हे।थोडासा उत्कर्ष हुआ न हुआ वही  पतन करा देती हे।हा एकाद छोटा सा निमित उसे मिलना चाहिये ।पाप भीरु बनकर तूने अनशन किया परंतु यह अनशन के दोरान तू दू:खभीरु बन गया।उसके सिवाय ऐसा क्यों बने? कहा मंगलसेठ का जन्म तथा…

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एक दिन अचानक मेरी पत्नी मुझसे बोली

एक दिन अचानक मेरी पत्नी मुझसे बोली – “सुनो, अगर मैं तुम्हे किसी और के साथ डिनर और फ़िल्म के लिए बाहर जाने को कहूँ तो तुम क्या कहोगे”। मैं बोला – ” मैं कहूँगा कि अब तुम मुझे प्यार नहीं करती”। उसने कहा – “मैं तुमसे प्यार करती हूँ, लेकिन मुझे पता है कि यह औरत भी आपसे बहुत…

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घमंडी का सिर नीचा

नारियल के पेड़ बड़े ही ऊँचे होते हैं और देखने में बहुत सुंदर होते हैं। एक बार एक नदी के किनारे नारियल का पेड़ लगा हुआ था। उस पर लगे नारियल को अपने पेड़ के सुंदर होने पर बहुत गर्व था। सबसे ऊँचाई पर बैठने का भी उसे बहुत मान था।. इस कारण घमंड में चूर नारियल हमेशा ही नदी…

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एक दिन मोर ने मोरनी से प्रस्ताव रखा

एक बहुत बड़ा सरोवर था। उसके तट पर मोर रहता था, और वहीं पास एक मोरनी भी रहती थी। एक दिन मोर ने मोरनी से प्रस्ताव रखा कि- “हम तुम विवाह कर लें, तो कैसा अच्छा रहे?”   मोरनी ने पूछा- “तुम्हारे मित्र कितने है? ” मोर ने कहा उसका कोई मित्र नहीं है। तो मोरनी ने विवाह से इनकार…

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