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“यह रोमैन्स में क्लिंटन की अश्लीलता नही है महान कवि कालिदास का सुसंस्कृत श्रृंगार है।”

एक 53 years के डाक्टर ने कहा की- मै अब 33 years का युवान बन जाऊँगा। तब ज़ूनीयर डाॅ. ने पूछा कैसे? कुछ दावा विगेरा का सर्च कर रहे है क्या सर?
तब उन्होंने भेद बताया की मै ही नही कल तो पूरा का पूरा अमेरिका युवा ही बन जाएगा। क्योंकि कल मोगरे की सफेदी, मखन जैसी सौफ्टनस , सोन्दर्य और योवन से श्रुंगारीत वह चंचल होने के बाद भी भोली आँखें, नशीला चहेरा, क़ातिल आकर्षण का दुसरा नाम किंबर्ली आ रही है। अमेरिका की टॉप मॉडल, जिसने कोको कोला में कुछ सेकंड काम करने के लाखों डॉलर माँगे है। और लिए भी है। किंबर्ली को देखकर अमेरिका- यूरोप के लाखों लोग करोड़ों लीटर कोकोकोला पी जाते है। एसी कामिनीय काया की मालिकीन को मिलने के लिए संसार का हर पुरुष शर्म को त्याग कर के बील क्लिंटन बन जाता है।
वृधत्व 20वर्ष पीछे हो जाता है। योवन भी पटलकर पुनः बैठ जाता है।
डा. केरिंगटन बिना चयवानप्रश के कायाकल्प करे इसमें उनकी कोई ग़लती नही है। डा. पटेल तो 25वर्ष के युवान थे। उनमे रहे पुरूष ह्रदय ने बाॅस के आमंत्रण को स्वीकार लिया।
यह रात दोनो पुरुष के लिए जागरण लेकर आयी थी। दोनो अगले दिन दोपहर में टाऊनहाँल जा पहचे। जैसे तैसे दोनो स्टेज पर गए। आगे डॉ. केरिंगटन तो पीछे डॉ. पटेल। गाय के पीछे बछड़ा होता है ठीक उसी तरह डाॅ. पटेल थे। पहले डॉक्टर केरिंगटन ने माॅडल से हाय -हेलो करी, ऑटग्रैफ़ लिए उसके बाद पीछे हुए। फिर हाथ मिलाया। अब डॉक्टर पटेल का क्रम आया। उन्होंने ख़ुद का परिचय दिया, हाथ मिलाने के लिए लम्बा करा, परंतु ऐशियन होने के नाते उसने हाथ नही मिलाया।
डॉक्टर पटेल का मन व्याकुल हो गया। इस नारी ने
भारतियत्व का अपमान किया है। गेहु वर्ण की चमड़ी का अपमान किया है। अब ऑटग्रैफ़ लेने की इच्छा भी नही थी और अर्थ भी नही रहा।
समय बहने लगा। वक़्त के चक्र ने स्पीड पकड़ी और एक माह के बाद कल्पना नही कर पाओ एसा प्रसंग बना। किंबर्ली घोड सवारी करते करते गिर गई। नसीबदार थी कि उसकी हड्डी नही टूटी परंतु लेफ़्ट पेर के सनायु फट गए थे।
अमेरिका अति आधुनिक देश था। पर अमुक चीज़ें ऐसी होती है जिसमें डॉक्टर की मोनोपोली होती है। सारे डॉक्टर ने हाथ खड़े कर दिए। अब मात्र एक ही डॉक्टर बचा सकता था और वह थे डॉक्टर पटेल!
डॉक्टर पटेल की अपॉइंटमेंट लेकर गई। वैसे पटेल साहब की अपोईंटमेंट 8 दिन पहले लेनी पड़ती है। परंतु मै बात करता हूँ और डॉक्टर पटेल अपने बाॅस को ना नही बोल पाए।
हेलो डोंक! how are you? हाथ लम्बा करते हुए किंबर्ली ने पुछा।
सॉरी! आइ ऐम इंडियन। हम भारतीय परस्त्री के हाथ को हमारे हाथ में नही पकड़ते है। नमस्ते! डाॅक्टर पटेल ने कहाॅ।
डॉक्टर उसके शरीर का निरीक्षण कर रहे थे। जिसके गोपित अंग को देखने के लिए पूरा अमेरिका गुलाटी मरने को टल पापड़ होता था वहाँ पाषण की बनी उस तरह केवल साक्षी भाव से डाॅक्टर पटेल निरीक्षण कर रहे थे। माॅडल ने बाहर आकर बोला में सर्प्राइज़ हु की आप इतना संयम कैसे रख सकते है?
प्रिस्क्रिपशन लिखते first time सिर उठाकर बोले। आप याह से जाने से पहले दो- तीन बात ख़ास समज ले। मै जब फर्ज़ पर होता हुँ तब मात्र डॉक्टर होता हुँ। पुरुष नही। मेरे पेशंट मात्र पेशंट होते है। फिर वह मेरे गाँव की ग़रीब कदरूपी आदिवासी स्त्री हो या अमेरिका की किंबर्ली।
उस दिन जब मै आपसे मिलने आया था तब पुरुष डॉक्टर नही बल्कि तेरे सोन्दर्य का चाहक एक कला रसिक पुरुष था।
कंसलटिंग रूम के बाहर रोमेंटिकि बन सकता हुॅ परंतु रोमैन्स ने क्लिंटन की अश्लीलता नही है बल्कि
महान कवि कालिदास जी का सुसंस्कृत श्रृंगार है।
रही बात चमड़ी की तो इस काली चमड़ी के नीचे भी स्वाभिमान का ख़ून दोड रहा है। जिसे विश्व का श्रेष्ट सोन्दर्य भी ललचा नही सकता है।।

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