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जनम जनम तु ही माँ – भाग 4

‘माँ ,में तो इस जनम में भी साध्वी हो जाऊगी ।मुझे तो एक दिन ऐसा सपना भी आया था….’
‘ यह तो तु रोजाना साध्वीजी के पास जाती हैं -उनके दर्शन वगेरह करती हैं….इसलिए ,बाकि ऐसे सपने कही सच नहीं होते ।’
‘चाहे ,अभी सपना हो वह सपना…. इस जीवन में कभी ना कभी तो सच होना चाहिए ।सच कहती हु माँ ,कभी कभी मुझे साध्वी -जीवन का काफी खिचाव हो आता हैं ….हलाकि यह आकर्षण कुछ देर का ही होता हैं….फिर भी आत्मा में गहरे गहरे तो आकरक्षण रहेगा ही।’
‘ वह तो रहना ही चाहिए ।मानव जीवन की सफलता चरित्र धर्म में ही रही हुई हैं। परन्तु अभी तो मुझे तेरी शादी करनी हैं….।’
‘देख माँ ,अपन बात कोनसी कर रहे हैं? संयम जीवन की ।इसमे फिर शादी की बात कहा से आई ?मेतो यह चली…’ सुरसुन्दरी खड़ी हो गई।
रतिसुन्दरी ने उसका हाथ पकड़ कर अपनी और खीचकर कहा:
बेटी ,अब तु योवन में हैं….में और तेरे पिताजी यही सोचरहे हैं की तेरे लिए सुयोग्य वर मिल जाये तो ….’
सुरसुन्दरी माँ का हाथ चुडाकर शयनखंड के बहार दौड़ गई…. अपने खंड में जाकर बेठ गयी…. फिर वापस उठी और माँ के पास आकर बोली:
‘माँ ,में कल आचार्य देव के पास जाऊगी…. ‘अनेकांतवाद ‘का अध्ययन करने के लिए !जाऊ ना?’
‘जरूर जाना बेटी !में आचार्य देव को समाचार भिजवा दूँगी ,पर तु साध्वीजी से बात करलेना की ‘में पुज्य आचार्य देव के पास ‘अनेकान्तवाद’ का अध्ययन करने जाऊगी ।’
‘वह तो में आज ही बात कर दूँगी ।मेरी गुरु माता भी तेरी तरह मुझे इजाजत देगीही।’
सुरसुन्दरी अपने खंड में चली गई। रतिसुन्दरी अपने खंड में से निकल कर महाराजा के खंड की और चली।
महाराजा रिपुमर्दन उनके खंड में अकेले ही थे ।रतिसुन्दरी ने खंड में प्रवेश किया और महाराज की मोन इजाजत लेकर उनके सामने वह भद्रासन पर बेठ गई।
‘ देवी ,सुन्दरी का धार्मिक अध्ययन केसा चल रहा हैं?’महाराज ने सीधी ही सुरसुन्दरी की ही बात छेड़ी ।
‘में अभी उसके पास से ही आरही हु। हम दोनों यह ही बात कर रही थी ।कुछ समय में तो उसने काफी अच्छा तत्व ज्ञान प्राप्त कर लिया है…. अब ज्यादा अध्ययन….’
‘ नहीं करवाना…. यही ना ?क्यों ?डर लगा क्या ?कही सुन्दरी दीक्षा लेले तो?’ महाराजा हस दिये ।
‘इतनी मेरी किसमत कहा ?वो साध्वी बने तो में रतनकुक्षि कहलाऊगी न ?’
‘तो फिर क्यों ज्यादा अध्ययन नही करवाना ?’
‘कब तक पढ़ायेंगे उसे? अब तो उसे ससुराल विदा करनी होगी न? उसे जरा ध्यान से देखे तो ….’
‘वह योवन में हैं ,में जानता हु ।उसके अनुरूप राज कुमार की खोज भी चालु ही हैं। फिर भी आज तक सफलता नहीं मिली। चाहे जैसे ऐसे-वैसे राजकुमार के साथ तो।

आगे अगली पोस्ट में….

जनम जनम तु ही माँ – भाग 3
April 29, 2017
जनम जनम तु ही माँ – भाग 5
April 29, 2017

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