‘पर मैं उस ब्राह्मण के बच्चे को छोड़नेवाला नहीं । उसके साथ खेलने में… क्रीड़ा करने में मुझे बड़ा मजा आता है । रोजाना हम नई-नई तरकीबें लड़ाकर खेलते हैं । अरे मां । तू खुद भी यदि उस विदूषक को देखेगी तो तू भी पेट पकड़कर हंसती ही रहेगी ।’
‘तुम खेला करना। मैं तेरे पिताजी को समझा दूंगी । मना लूंगी । पर तुझे उनके सामने नहीं बोलने का । उनकी मर्यादा को भंग करने की नहीं ।’
‘परंतु… तू पिताजी को समझाएगी । उस महाजन को कौन समझाएगा ? वह हमारे खेल में झमेला पैदा करेगा तो ? रोजाना पिताजी के पास आकर शिकायत करते रहेंगे तो ?’
‘इसलिए तो कहती हूं… कुछ दिन के लिए उस ब्राह्मणपुत्र का नाम लेना ही छोड़ दो, उसके साथ खेल बंद कर दो । इससे महाजन को भरोसा हो जाएगा… फिर तुम तुम्हारे खेल खेलते रहना ।’
पुत्र को खुश रखने के लिए माता खुद पुत्र को अकार्य में सहमति देती है। पुत्र को गलत रास्ते पर जाने में सहायता देती है ।
‘महाजन की घुड़की से डरकर मैं मेरा खेल रोकनेवाला नहीं। पिताजी को जो भी करना हो सो कर ले । मुझे यहां से निकल देंगे तो देश छोड़कर चला जाऊँगा। परंतु उस अग्निशर्मा को साथ लेकर जाऊंगा। उसके वगैर मुझे चैन नहीं मिलेगा। वह रोता है तो मुझे मजा आता है । वह चीखता है तो मेरा तन नाच उठता है। वह जमीन पर लोटता है…. गिड़गिड़ाता है… तो मुझे आनंद मिलता है । उसे सताने में…. पीड़ा देने में मुझे ख़ुशी मिलती है… और मैं वह करूंगा ही। फिर जो चाहे हो जाए ।’
वह खड़ा हुआ और कमरे के बाहर निकल गया ।
वह सीधा पहुँचा कुष्णकांत की हवेली। कुष्णकांत भोजन करके खड़ा हुआ ही था। कुमार ने उसका हाथ पकड़ा और उसके कान में कहा : ‘इसी वक़्त अभी शत्रुध्न और जहरीमल को बुला ला। हमें जरूरी बात करना है ।’
कुमार कुष्णकांत के भीतरी कमरे में जाकर बैठा । कुष्णकांत दोनों दोस्तों को बुलाने के लिए गया । कुमार के मन में पिता के प्रति एवं महाजन के लिए गुस्से का लावा उफ़न रहा था ।
मोह और अज्ञान से घिरा हुआ आदमी और कर भी क्या सकता है ?
कुष्णकांत , शत्रुध्न और जहरीमल को साथ लेकर आ पहुँचा ।
गुणसेन तीनो मित्रों से गले मिला । चारों मित्र वर्तुल में बैठे। गुणसेन बोला :
‘दोस्तों… बात अब महाराजा तक पहुँच गई है । महाराजा ने आज मुझे जिन्दगी में पहली बार डांट पिलाई है। और अग्निशर्मा के साथ किसी भी तरह की ज्यादती नहीं करने की कड़क आज्ञा की है ।’
जहरीमल ने पूछा : ‘महाराजा से कहा किसने ?’
गुणसेन ने कहा : ‘महाजन ने ।’
आगे अगली पोस्ट मे….