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पारणा नहीं हो सका। – भाग 10

राजा ने कहा : ‘भगवंत, मैंने उन महात्मा को महीने के उपवास का पारणा करने के लिए निमंत्रित किया तो सही…. पर प्रमाद के कारण उन्हें पारणा करवा नहीं सका …. यही मेरे घोर संताप का कारण है ।’ ‘राजन, ऐसा प्रमाद कैसे हुआ ?’ ‘प्रभु, मेरे मस्तिष्क में अतिशय वेदना पैदा हो गई … इसलिए मैं तो परवश हो…

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पारणा नहीं हो सका। – भाग 9

एक वयोवुद्ध तापस ने राजा का अभिवादन करते हुए कहा : ‘राजन , बैठिये , इस आसन पर । हम सब आपका हार्दिक स्वागत करते है ।’ राजा के चेहरे पर लाज – शरम और ग्लानि की रेखाएं उभर रही थी । वह नतमस्तक हो आसन पर बैठा । परंतु कुलपति के सामने देखने की उसमे हिम्मत नहीं थी ।…

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पारणा नहीं हो सका। – भाग 8

‘देवी , सारा कसूर मेरा ही है । मुझे राजपरिवार को , विशेष करके राजमहल के द्वारपालों को कल ही सुचना दे देनी चाहिए थी… कि ऐसे गेरुए वस्त्रधारी कुशकाय तपस्वी आये तो उन्हें आदर-सत्कार पूर्वक बुलाना….और हमे शीघ्र ही सुचना देना ।’ ‘परंतु , वैसी सुचना देने का प्रयोजन ही नहीं था , कल ही हमने निर्णय कर लिया…

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पारणा नहीं हो सका। – भाग 7

महारानी ने मंत्री यशोधन को पास बुलाकर , अग्निशर्मा तापस के आगमन के बारे में तलाश करने की सुचना दी। यशोधन त्वरा से राजमहल के मुख्य द्वार पर गया। वहां उपस्थित मानवसमुदाय में अग्निशर्मा को खोजने लगा। उसे वहां अग्निशर्मा नहीं दिखाई दिया….। तो उसने वहां पर खड़े नागरिकों से पूछा : ‘भाई, यहां पर एक दुबला-पतला गोरूए वस्त्रधारी तापस…

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पारणा नहीं हो सका। – भाग 6

महाराजा बड़े ही भावुक है। भक्तिभाव से भरे हुए हैं । आपका पारणा नहीं करवाने का उन्हें काफी रंज होगा…. चिंता होगी ।’ अग्निशर्मा ने कहा : ‘गुरुसेवक और गुरुपूजक वैसे उस महानुभाव को शीघ्र ही आरोग्य प्राप्त हो….। मुझे तो आप पारणा करना ही नहीं है। आज से दूसरे महीने के उपवास की प्रतिज्ञा करता हूं ।’ राजमहल के…

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