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अग्निशर्मा का अनशन – भाग 10
सोमदेव खड़े हुए। अग्निशर्मा को प्रणाम किया औऱ वे नदी के किनारे पर टहलने लगे। कुछ दूरी पर पहुँच कर उन्होंने एक युवान तापस को नदी में स्नान के लिये जाते देखा। उसके हाथ मैं दर्भ का घास और फूल थे। गेरुआ अधोवस्त्र उसने पहन रखा था। बदन खुला था। सर पर काले बालो की जटा बंधी हुई थी। चेहरे…
अग्निशर्मा का अनशन – भाग 9
तपोवन के बाहर एक पेड़ के तने के साथ को बांधकर सोमदेव ने तपोवन में प्रवेश किया। वे कुलपति के पास नही गये, चूँकि कुलपति सोमदेव को पहचानते थे। इसलिए वे सीधे ही अग्निशर्मा के पास ही पहुंच गये। नदी के किनारे के समीप के लतामण्डल में, घास के बने हुए लम्बे संथारे पर अग्निशर्मा बैठा हुआ था। उसके पास…
अग्निशर्मा का अनशन – भाग 8
राजा और राजपरिवार, राजकुमार के जन्म महोत्सव में लीन थे। सर्वत्र आंनद उल्लास और उमंग उछल रहा था। इतने में परिचारिका ने आकर राजा को प्रणाम कर के निवेदन किया, महाराजा दुग्धपान का समय हो गया है। दुग्धपान? राजा परिचारिका के सामने फ़टी फ़टी आँखों से देखता रहा।औऱ सहसा खड़ा होकर बोल उठा अरे रे आज तो उस महातपस्वी का…
अग्निशर्मा का अनशन – भाग 7
कुछ भी असम्भव नही है। इस पूरे जीव लोक में, सर्वत्र कषायों का साम्राज्य छाया हुआ है। अग्निशर्मा के पास ज्यादा देर बैठना उचित प्रतीत नही होने से तापस वहां से खड़े हुए और कुलपति के आवास की और चल दिये। व्रद्ध तापस ने कहा कुलपति आज की इस ताजा घटना से अनजान होंगे। इसलिए उन्हें इस बात की जानकारी…
अग्निशर्मा का अनशन – भाग 6
तपोवन निरन्तर बहती हुई सरयू के किनारे पर बसा हुआ था। तापस लोग नदी के प्रवाह में रोजाना स्नान करने जाते थे। कूछ तापस स्नान करके तपोवन में आ रहे थे। उन्होंने आमवृक्षों के कतारो की साये में चलते हुए अग्निशर्मा को उसके आसान पर बैठा हुआ पाया! वे चौक उठे। उन्होंने बारीक निगाहो से अग्निशर्मा को देखा। इस महातपस्वी…