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जनम जनम तु ही माँ – भाग 5

सुरसुन्दरी के ब्याह कैसे करे ?अपन ने उसे जितने उचे -उमदा संस्कार दिए है…. वेसी श्रेष्ठ कलाए दी हैं उसके अनुरूप वर मिलना चाहिए ना?’ ‘ आज नहीं तो कल मिलेगा ….उसका पूण्य ही खीच लायेगा सुयोग्य वर को ।’ रानि ने अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हुए आश्वासन दिया। ‘ यह तो अपना माता -पिता का हर्दय हैं इसलिए चिंता…

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जनम जनम तु ही माँ – भाग 4

‘माँ ,में तो इस जनम में भी साध्वी हो जाऊगी ।मुझे तो एक दिन ऐसा सपना भी आया था….’ ‘ यह तो तु रोजाना साध्वीजी के पास जाती हैं -उनके दर्शन वगेरह करती हैं….इसलिए ,बाकि ऐसे सपने कही सच नहीं होते ।’ ‘चाहे ,अभी सपना हो वह सपना…. इस जीवन में कभी ना कभी तो सच होना चाहिए ।सच कहती…

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जनम जनम तु ही माँ – भाग 3

‘ जब अमर आचार्यश्री के अध्यन के पास करने जाता हैं, में भी उसी समय जाउगी आचार्यश्री को वन्दन करने के लिए, आचार्य श्री के सानिध्य मेही तत्वचर्चा छेड़ूगी ।’ उसका मन- मयूर नाच उठा । महल के आगन में एक मोर अपने पैर फेलाकर नाचने लगा।सुन्दरी मन ही मन बोल उठी :’अरे, मोर ,क्या तु न मेरे मन की…

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जनम जनम तु ही माँ – भाग 2

‘शरम आती हैं।यही कहना हैं न ?’सुन्दरी का चेहरा शरम से लाल होता चला । ‘अमर…’ वो पेरो से जमीन को खुतरते हुए बोली ,’मुझे तेरे साथ ढेर सारी बाते करनी हैं….।साध्वीजी से मेने सुनी हे वो सारी बाते तुझे बतानी हैं…. और तेरे से भी मुझे ऐसी कई बाते सुननी भी हैं। जेनधर्म का ,सर्वज्ञ शाशन का तत्ज्ञान मुझे…

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जनम जनम तु ही माँ – भाग 1

जितनी तमन्ना और तन्मयता से सुरसुन्दरी ने विधा अध्ययन किया था, कलाए प्राप्त की थी, उतनी ही तमन्ना और तन्मयता से उसने जैन धर्म के सिद्धान्तों का अध्ययन किया ।साध्वी सुव्रता ने वत्सलता भरे ह्रदय से उसे अध्ययन करवाया । विधार्थी की नम्रता और विनय गुरु के दिल में वत्सल्ल पेदा करते हैं ,करूणा का झरणा पेदा करते हैं। गुरु…

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