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जीवन सागर है

हम सब जीवन जीते है। परन्तु कभी भी हमने इस जीवन के अर्थ को नहीं समझा नहीं जानने की कोशिश करी।
यह प्रश्न एक शिष्य के मन में उत्तपन्न हो गया।और इसके समाधान के लिए पहुंचा गुरुदेव क पास। गुरु देव से बोला की ये जीवन एक दम विशाल है सागर की तरह। इसकी तुलना सागर के साथ करे तो कैसा है।जीवन सबको मिलता है एक जैसा परन्तु जीवन का आनदं, संतोष, सफलता,सुख, सबको अलग अलग क्यो प्राप्त होती है?
गुरु ने शिष्य के प्रश्न सुने और कहाँ- इसका जवाब कल सागर के किनारे पे ही दूंगा। इसके उत्तर के लिए तुझे कल तक इंतज़ार करना पड़ेगा।।अगले दिन जल्दी से शिष्य सागर के तट पर पहुंच गया। गुरु तो अपने समय पे ही आये और सुनहरे वातावरण में शिष्य के साथ तट पर टहलने लगे।
गुरूजी ने शिष्य से कहाँ की सागर कितना विशाल है। यहाँ पर लहरो का आना जाना चलता रहता है। उसी तरह जीवन भी विशाल है और सुख दुःख का आना जाना चलता ही रहता है।
गुरूजी आपकी बात सही है परन्तु शिष्य को बोलने से रोक देते है और कहते है की देखो वो इस सागर में कोई हिम्मतवान मोती को लेकर आ रहा है तो कोई छोटी नौआ से जाल बिछा रहा है।कुछ सेलानी किनारे पर लहरो में पैरों को गिला कर मस्ती कर रहे है। तो एक आदमी पत्थर पर निराश बैठकर सागर में कंकर फेक रहा है। सागर चारो के लिए एक जैसा है। कोई मोती पता है कोई मछली तो कोई रेत्ती को पा कर खुश होता है। कोई उसमे कंकर को फेक कर निराशा को छोड़ने का प्रयत्न करता है।
जो सागर की गहराइयो में जाता है उसे मोती मिलता है।
जो इसमें थोडा जाता है उसका का भी वह जीवन निर्वाह करता है।
जो किनारे पर स्पर्श करता है उसे रेती देता है।
जो पत्थर पर बैठता है उसे कुछ नहीं मिलता है।
जीवन भी वैसा ही है इसमें से कोई सफलता को पता है ।संतोष को पता है। आनंद को प्राप्त करता है। तो कोई हताश निराश दुखी होता है।
” हमारे लिए जीवन क्या है?”
इसका फैसला हमे खुद करना है ।
इस जीवन सागर में सब कुछ है। आप जितना संघर्ष करोगे उतना सुन्दर फल प्राप्त करोगे।

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