प्रेरक प्रसंग 🔰
* *जैन साहब**
बच्चा जैन पाठशाला जाता है नियमित
संस्कारो से ओत प्रोत हो गया है
पाठशाला में सिखाया गया आलू प्याज कन्द मूल नही खाने रात्री भोजन नही करना
बच्चा उसको अपना भी लेता है लेकिन समस्या माँ बाप को हो जाती है
वीकेंड पर बाहर खाना खाने गए खाने का ऑर्डर किया थाली में आलू प्याज देख कर
बच्चा बोलता है पापा हम तो जैन है न आलू प्याज कैसे खाये❓❓फिर समझदार पिता—
बेटा अभी तुम छोटे हो अभी से मत छोडो थोड़े बड़े हो जाओ तो छोड़ना बेटा–
पर पापा पाठशाला में ऐसा कभी नही बोला कि
बड़े हो कर त्याग करना और हाँ, अगर बड़े हो कर त्याग करना है तो फिर आप और मम्मी छोटे हो क्या❓❓ *सवाल दिल पर चोट कर गया जैन साहब क़े* अब या तो बच्चे को पाठशाला छुड़वाओ या स्वयं आलू प्याज अभक्ष रात्रि भोजन छोडो आखिर जैन साहब ने ऑर्डर केंसल किया
और जैन खाना ऑर्डर कर खा लिया साथ ही प्रण भी लिया अब आज के बाद बाहर का भी नही खाएंगे *संस्कारो की पहली पाठशाला माता पिता स्वयं है* दोहरे नियम बना कर कन्फ्यूज न करे
कही आप भी तो यही नही करते हो न *जैन साहब*